Saturday, 1 July 2023

वो नाराज़ था आज ।

वो नाराज़ था आज,

या कल भी,

अभी तो ठीक ही था सब ।

कैसे बुरी लगती है वही बात, 

जिसपर हंसे थे कुछ ही दिन पहले ।


शायद जुड़े थे इस बात के तार, 

कुछ ख़ुशियों और ग़म से।

सोच ही लिया की ना आये ज़िक्र फिर से, 

भावना कौन सी उमड़े सुनते ही ।


चलो नई बात करे अब, 

दफ़्न कर दें जो भी पुराना है ।

जिनसे जुड़े है दर्द के तार, 

माना कुछ है इनमें अच्छा याद करने को, 

पर ग़म और ख़ुशी के उलझे तारों को छेड़े क्यों,  

क्यों ना आगे सिर्फ़ ख़ुशियाँ लिखें ।


फिर जब याँदें आयेंगी, बातें होंगी, तो ये गमों से ना जुड़ पायेंगी ।


ख़ुशी और ख़ुशी लाएगी ।

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