Wednesday, 12 July 2023

क्यों नहीं कहते कि जो कुछ भी हुआ है ।

क्यों नहीं कहते कि जो कुछ भी हुआ है,

तुम ही हो इन सभी व्यवस्थाओ के पीछे ।

क्यों नहीं कहते ये जो ताले लगे हैं ,

जो कभी होते नहीं थे किसी दर पर,

ये तुम्हारा कारनामा दिख रहा है,

लटके है ताले हर एक दर और डगर पर ।


क्या तुम वो नहीं, था जिसने चुराया,

घर में घुसकर गहने, पैसे और सामाँ,

और फिर लाए तुम्हीं ताला बनाकर,

और बेंचा एक एक घर घर में जाकर ।


क्यूकी तुम थे ग़लत तुम ही हो कि जिसने,

हर लिया विश्वास जन में दूसरे का,

क्या नहीं ये वही हर्षवर्धन की धरती,

जहां नहीं थे ताले लगते किसी घर पर।


पर तुम्हारा कथन भी है सत्य दिखता,

आज जो भी लोग है धन को कमाते,

और रहते विशालकाय भवनों में जाकर,

पर तुम्हारा एक डर है, जिसलिये वो,

अपने भवनों में है ताले लगाते ।


और बैठाते सुरक्षा हर तरफ़ वो,

जिससे तुम आ ना सको झुपते छुपाते ।

और सुरक्षा में लगे जो लोग उनके,

घरों के खर्चे भी इससे चल रहें हैं,

बच्चे स्कूलों में पढ़ने जा रहें है,

और भोजन की व्यवस्था पा रहें है। 


नहीं हो सकता है हैरां कोई भी यू, 

जब फ़रिश्तों ने सुनाई दास्ताँ यह,

और कहा इंसान है ये तो वही जो,

कर गया उद्धार लाखों का जहां में ।

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