Monday, 14 January 2019

आईये बह चलें...

आईये बह चलें, बह चली जिधर गंगा है!
ना लड़े, बह चलें, बह चली जिधर गंगा है!!

सिद्धांतों और रूढ़ियाँ तोड़कर, स्वतंत्र भारत की स्वतंत्रता समेंट लें!
आईये बह चले.................................

बुरा करें, भला कहें, युग के चलन से हम पृथक क्यों रहें!
आईये बह चलें.................................

सुख गंगा की धार, खाड़ी सुखसागर!
मार्ग में गर्त के नये आयाम चूम लें!!

आईये बह चलें, बह चली जिधर गंगा है!

No comments:

Post a Comment